Published By Anant on 13 Feb, 2024
1. राजमा चावल का स्वाद: अरे वाह! रविवार हो और मां के हाथ के बने राजमा चावल ना हों भई ऐसा हो ही नहीं सकता। वो खुशबू, गाढ़ी ग्रेवी, और प्यार से बनाया गया स्वाद, खाने में मज़ा आ जाता है !
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2.आलू के पराठे और दही: सर्दियों की सुबह हो और गरमा-गरम आलू के पराठे ना मिलें? ऊपर से एक चम्मच घर का बना दही...स्वर्ग यहीं है भाई!
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मां की स्पेशल खिचड़ी: बीमार पड़ गए? मतलब मां की खिचड़ी बननी तय है! हल्दी, नमक, घी की सादगी और मां के हाथ का जादू – पेट भी ठीक, दिल भी खुश!
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मख्खन वाली रोटी, सब्जी का साथ: ताज़ी-ताज़ी रोटी पर मख्खन लगा के, मां जो भी सब्जी बनाएंगी, पेट भर जाएगा और मन खुश हो जाएगा!
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घर की बनी कढ़ी: कढ़ी पसंद हो या ना हो, मां की बनाई कढ़ी के आगे सब फीके पीडी जाते हैं ! और अगर कही पकौड़े डले हों तो सोने पे सुहागा!
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त्योहार वाली पूरी-हलवा: अरे कोई भी त्योहार हो, मां के बनाए बिना तो मज़ा ही नहीं! कुरकुरी पूरियां, मीठा हलवा और कभी-कभी आलू की सूखी सब्ज़ी - वो दिन ही अलग थे!
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दादी वाली सरसों का साग: सर्दियों में मक्के की रोटी के साथ सरसों का साग और गुड़ - मां जैसा तो कोई बना ही नहीं सकता, पर दादी को टक्कर ज़रूर दे सकती है!
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सांभर-इडली का जलवा: साउथ इंडियन खाना मम्मी से सीखा? गरमा-गरम सांभर, नरम इडली के साथ नारियल की चटनी...अम्मा का वो मद्रासी टच याद आता है!
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खस्ता कचौरी, चटपटी चटनी: शाम की चाय के साथ पापा मांग ले खस्ता कचौरी, तो समझो मां खुश मूड में हैं! खट्टी-मीठी चटनी के साथ - आहा, क्या दिन हुआ करते थे!
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त्योहार की खीर: कोई भी त्योहार बिना मां के हाथ की बनी खीर के संपन्न नहीं होता! उसमें वो जो इलायची और केसर मिलाती थीं...बहार ही हो जाती थी!
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कुछ भी हो जाए, मां के हाथ का खाना खाने का मज़ा ही कुछ और है! है ना?
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